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गाजियाबाद-56 उप-चुनाव : ये बीजेपी की बंपर जीत नहीं, विपक्ष की ‘महा’बंपर हार, सोचिए कौन जिम्मेदार ?

गाजियाबाद-56 उप-चुनाव : ये बीजेपी की बंपर जीत नहीं, विपक्ष की ‘महा’बंपर हार, सोचिए कौन जिम्मेदार ?

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गाजियाबाद में चुनाव गांव देहात वाला छोटे लेबल वाला हो, या फिर शहर में निगम-पालिका या पालिका परिषद का और या फिर विधानसभा या लोकसभा का। बगैर साड़ी-सूट-शराब और पैसे के चुनाव जीता ही नहीं जा सकता। ये सब उन लोगों पर खर्च करना पड़ता है, जो पैसा कमाने या दो-जून की रोटी जुटाने के लिए दिल्ली से सटे इस इलाके में आकर रह रहे हैं।

 

लेकिन बीजेपी ने इस चुनाव में रिकॉर्ड कम मतदान होने के बावजूद विपक्ष को ये एहसास करा दिया कि सिर्फ साड़ी-सूट, कुर्ते पायजामे, शराब और पैसे से ही चुनाव में बंपर जीत हासिल नहीं की जा सकती। बल्कि इसके इस्तेमाल के बावजूद आप कम मतदान का फायदा न उठाकर महाबंपर हार का सामना कर सकते हैं। गाजियाबाद सीट पर हुए उप-चुनाव में संजीव शर्मा ने जो किया वो सब इसका मूक साक्षी है। हो सकता है कि विपक्ष के कई लोग इसे स्वीकार न करें। मगर हकीकत यही है।

हर किसी ने किया जीत का दावा
विपक्षी दलों की बात करें तो सपा-बसपा, आसपा इस बात से संतुष्ट थे कि वो बीजेपी को हरा रहे हैं। सबके अपने तर्क थे। सबके अपने दावें थे। किसी को अपने सूट साड़ी और पैसे का गुमान था तो किसी को कुर्ते पायजामे और शराब का। मगर सब धरे रह गए। बीजेपी ने जो बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से किया, वो भारी विरोध के बावजूद पूरे विपक्ष पर भारी पड़ा और नतीजा सबके सामने है। बीजेपी प्रत्याशी कम मतदान होने के बावजूद बंपर वोट से जीते हैं। और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कांग्रेस के समर्थन और अपने दलित होने और पूर्व बसपाई होने के बावजूद बड़ी मुश्किल से जमानत बचाने में कामयाब हुए हैं।

बीजेपी की स्टेटेजी नहीं पढ़ पाए विपक्षी
दरअसल, विपक्षी दलों को इस बात का मुगालता रहा कि बीजेपी और बीजेपी की मोदी-योगी सरकार से महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर जनता नाराज है। उनके बाहरी प्रत्याशी उतारने से भी लोगों में नाराजगी है। उन्हें इस बात का मुगालता भी रहा कि बीजेपी को हराने के लिए सिर्फ दलित-मुस्लिम और लाईनपार क्षेत्र जो गाजियाबाद विधानसभा की लगभग 70 फीसदी आबादी है वो ही काफी है।

लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि बीजेपी उनसे पहले से इन सब बातों को जान और पहचानकर अपनी स्टेटेजी तय कर चुकी है। औऱ उसी के हिसाब से काम कर रही है। योगी का रोड शो, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की सभाएं और प्रभारी मंत्री असीम अरूण का डोर-टू-डोर प्रचार बीजेपी की उसी रणनीति का हिस्सा था। नतीजा बंपर जीत के रूप में सामने है।

दलित-मुस्लिम को उलझाना स्टेटजी का पार्ट
दलित औऱ मुस्लिम वोटों की वजह से बीजेपी को नुकसान हो सकता है। ये बात बीजेपी जानती थी। यही वजह रही कि बीजेपी ने इस ओर फोकस योगी के रोड शो और ब्रजेश पाठक की सभा और बैठकों के जरिये किया। असीम अरूण के डोर-टू-डोर से इस पर फोकस किया। नरेंद्र कश्यप को खास इलाकों में घुमाया। अपने संगठनों को लगाया और वाल्मीकि समाज के लिए स्पेशली एक अलग टीम लगा दी। जिसकी जानकारी विपक्षियों को थी ही नहीं।

इतना ही नहीं बीजेपी ने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं की गड़बड़ियों पर भी फोकस करते हुए उनकी वजह से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए भी भीतरखाने काम किया। जिसका नतीजा ये रहा कि कम मतदान के बावजूद बीजेपी को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ।

हिंदूवादियों की आड़ में विपक्ष को बरगलाया
संजीव शर्मा साहिबाबाद इलाके के रहने वाले हैं। उनका पूरा चुनाव साहिबाबाद में सक्रिय टीम पप्पू पहलवान ने संभाला। यदि संजीव चाहते तो साहिबाबाद के रहने वाले पिंकी चौधरी को मैनेज करके उनकी पत्नी को चुनाव मैदान से हटा सकते थे। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि वो जानते थे कि पूनम चौधरी के चुनाव मैदान में खड़े होने से विपक्षियों को लगेगा कि पूनम बीजेपी का नुकसान करेंगी। हुआ भी यही।

विपक्ष को लगा कि पूनम बीजेपी का नुकसान करेंगी, मगर जितना विपक्ष पूनम के प्रचार को देखकर सोच रहा था, उसका चौथाई भी नहीं हुआ। ये मुगालता भी विपक्ष पर ही भारी पड़ा। नतीजा विपक्ष की महाबंपर हार और बीजेपी की बंपर जीत के रूप में आपके सामने है।

 

 

संवाददाता ग़ाज़ियाबाद 🖊️

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